सोम शीतलाष्टमी तथा कालाष्टमी 16 मार्च 2020
होली के आठवें दिन बसौड़ा व्रत किया जाता है, जिसे शीतला अष्टमी व्रत भी कहा जाता है। सोमवार को ये तिथि होने पर अधिक शुभ फलदायी हो जाती है।
यह व्रत माता शीतला को समर्पित है। यह व्रत होली के आठवें दिन होता है। हिन्दू पंचांग के अनुसार, प्रति वर्ष शीतला अष्टमी का व्रत चैत्र माह कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को होता है।
ज्योतिष शास्त्र में शीतला माता चर्म, खाल, चर्म संबंधी रोग जैसे फोड़े, फुंसी, दाने, चेचक से संबंधित होती हैं। बासोड़ा वाले दिन भगवती की पूजा का विधान है जिसमे माँ को नीम की पत्ती सफेद मिठाई का भोग लगाकर प्रसाद प्राप्त किया जाता है। इस विशेष दिन में पूजा पाठ करने से जातक चर्म संबंधी सभी बीमारियों से दूर रहता है।
इस बार 16 मार्च 2020 को सोम शीतलाष्टमी का व्रत और पूजन होगा।
सोम शीतलाष्टमी पर शीतला माँ की पूजा का मुहूर्त सुबह 6:46 बजे से शाम 06:48 बजे तक है।
सोम शीतलाष्टमी का महत्व
अष्टमी के दिन पहले बनाये हुए बासी पकवान ही देवी को नैवेद्ध के रूप में समर्पित किए जाते हैं। इसके पीछे तर्क यह है कि इस समय से ही बसंत की विदाई होती है और ग्रीष्म का आगमन होता है, इसलिए अब यहां से आगे हमें बासी भोजन से परहेज करना चाहिए।
स्कंद पुराण में माता शीतला का वर्णन है, उनके स्वरूप का वर्णन करते हुए बताया गया है कि माता शीतला अपने हाथों में कलश, सूप, झाडू और नीम के पत्ते धारण किए हुए हैं। वे गर्दभ की सवारी किए हुए हैं। शीतला माता के साथ ज्वरासुर ज्वर का दैत्य, हैजे की देवी, चौंसठ रोग, घेंटुकर्ण त्वचा रोग के देवता एवं रक्तवती देवी विराजमान होती हैं।
प्रातः जल्दी उठें और सूर्योदय से पहले स्नान करें। शीतलाष्टक का पाठ शुभकर रहे। प्रसाद में दही, राबड़ी, गुड़ और कई अन्य आवश्यक वस्तुएं शामिल करें। शाम को पूजा के बाद व्रत खोलें।
शीतलाष्टमी तथा कालाष्टमी पर भैरव उपासको के लिए भैरव पूजा मुहूर्त:
कालाष्टमी प्रारम्भ - 16 मार्च 2020 से सुबह 3 बजकर 19 मिनट से अगले दिन
कालाष्टमी समाप्त - 17 मार्च 2020 सुबह 2 बजकर 59 मिनट तक
ज्योतिर्विद डॉ0 सौरभ शंखधार की डेस्क से...