कोरोनो वायरस के आगमन के तथा निगमन के प्रमुख योग :
कोरोनो वायरस के आगमन के तथा निगमन के प्रमुख योग :
संक्षेप व्याख्या :
सूर्य का गुरु की मीन राशि का गोचर जिसमे सूर्य निस्तेज हो जाते हैं
उच्च के राहु की मंगल से सीधी दृष्टि भयानक रोग (कैंसर), अति वृष्टि तथा विनाशकारक होती है या प्रकार भी प्रकार से प्रकृति में जहर घोलने का काम करती है। कोई भी वायरस राहु के अन्तर्गत आता है मंगल के साथ मिलकर से उसे अधिकतम विनाशकारी बना देता है।
जैसे ही 22 मार्च की रात को मंगल राहु के सामने से हटेगा वैसे ही इनकी बढ़ोत्तरी का प्रभाव कुछ कम होने पर आएगा पर मंगल शनि के साथ अंगारक योग बनाकर मानवीय चिंता तथा अधिक नुकसान होने के योग बना देगा।
मंगल का राहु के सामने से हटना इस वायरस को कम तो करने में सहायक होगा पर ध्यान से रखा जाए कि जो लोग इससे संक्रमित हैं उन पर ध्यान दिया जाए।
जैसे ही गुरु का आगमन शनि की राशि ( मकर - गुरु की नीच राशि ) में होगा ये नीच भांग राज योग बनाएगा, अपने आप सब कुछ शांत होने की स्थिति में आ जायेगा क्योंकि गुरु की उच्च दृष्टि कर्क राशि पर होगी तथा वृष और कन्या राशि पर होगी, तीनो की राशियों पर अच्छे परिणाम देखने को मिलेंगे।
ये कह सकते हैं कि प्रकृति के अनुशासन को बनाये रखने के लिए 3 महीने वो खुद कष्ट में रखकर सब संतुलन कर देंगे। याद रहे जैसे ही गुरु जी वापस अपनी धनु राशि मे जाएंगे तक तक सब सही हो चुका होगा
सूर्य जैसे ही उच्चाभिलाषी होगा तभी से सरकार के कंट्रोल में सारी स्थिति आ जाएंगी। 14 अप्रैल को जैसे ही सूर्य उच्च राशि (मेष ) का होगा वैसे ही राहु का असर कुछ कम हो जाएगा।
22 मार्च से जब मंगल शनि की राशि मे प्रवेश करेगा ये युति महामारी के साथ कोई अप्रिय घटना भी ला सकती है। इसमें प्राकृतिक आपदा तथा जान माल के संकेत भी होने चाहिए। 29 मार्च को गुरु देव अमंगल को मंगल में बदल देंगे ये भी तय है।
4 मई को जैसे ही मंगल शनि की युति टूटेगी वैसे ही सब चीज़े अच्चानक से नार्मल होनी शुरू हो जाएंगी , ये महामारी जैसे आयी है वैसे ही झटके से निकल जायेगी।
तब तक सावधानी से रहे। सरकार के दिये हुए निर्देश माने। स्वयं की सेवा करते हुए राष्ट्र की सेवा करे।
ज्योतिर्विद डॉ0 सौरभ शंखधार की डेस्क से...