चैत्र नवरात्रि 25 मार्च 2020
रेवती नक्षत्र और ब्रह्म योग में नवरात्रि का आरंभ
इस बार चैत्र शुक्ल प्रतिपदा यानी 25 मार्च 2020 से विक्रम नवसंत्सवर 2077 का प्रारंभ रेवती नक्षत्र में होगा। इस प्रकार से देखें तो चैत्र नवरात्रि और हिन्दू नववर्ष का प्रारंभ एक ही दिन हो रहा है।
इस वर्ष चैत्र नवरात्रि 25 मार्च से प्रारंभ होकर 02 अप्रैल तक रहेगी। 02 अप्रैल को नवमी तिथि होगी। 03 अप्रैल को दशमी के साथ नवरात्रि का पारण होगा।
प्रमादी नामक संवत्सर (संवत 2077) / आनंद नामक संवत्सर ( 6 अप्रैल 2020 से प्रारंभ )
बुधवार से नव संवत्सर का प्रारंभ होने के कारण आगामी वर्ष का राजा भी बुद्ध होगा। प्रमादी नामक संवत्सर का आरंभ गत वर्ष 10 अप्रैल 2019 ईस्वी को हो चुका है, तथा आगामी आनंद नामक संवत्सर भी लगभग 6 अप्रैल 2020 से प्रारंभ हो जाएगा। प्रमादी नामक संवत्सर का प्रयोग वर्ष पर्यंत तक रहेगा। धार्मिक, कर्मकांडी विद्वान 6 अप्रैल 2020 से अप्रैल 2020 के बाद प्रमादी नामक संवत्सर का उच्चारण करने के बाद परम वर्तमाने आनंद नाम संवत्सरे का प्रयोग भी कर सकते हैं।
प्रमादी नामक संवत्सर 2077 गत वर्ष गत वर्ष अमावस्या की समाप्ति 24 मार्च मंगलवार को दोपहर 2:58 पर कर्क लग्न में प्रवेश करेगा, परंतु शास्त्र के नियम के अनुसार नववर्ष संवत 2077 तथा चैत्र बसंत नवरात्रों का राजा 25 मार्च बुधवार रेवती नक्षत्र ( पंचक नक्षत्र ) में होगा। वर्ष का राजा बुध तथा मंत्री चंद्र होगा।
प्रमादी नामक संवत्सर का फल शास्त्रों में इस प्रकार वर्णित है -
*निष्पति: सर्व सस्यानां रसानां च महर्घता।
मरकस्य भयं विद्यात प्रमादिति हि वत्सरे*
प्रमादी नामक संवत्सर में सभी प्रकार के धान, फसलों अनाज का उत्पादन होगा। सब रस आदि पदार्थ गुड़, चीनी आदि के मूल्य वृद्धि होगी। प्रजा सुखी हो आषाढ़ मास में वर्षा कम हो भाद्रपद में वर्षा अधिक होगी। धान में 3 गुना तक लाभ तथा विशेष मूल्य वृद्धि होगी परंतु कुछ क्षेत्र में उपद्रव राजनीतिक एवं जाति हिंसा के कारण भय का वातावरण उपस्थित होगा।
संवत्सर का वाहन:
संवत 2077 का राजा बुध होने से संवत का वाहन गीदड़ होने से देश के विभिन्न भागों विशेषकर दक्षिण उत्तरी प्रांतों में शासन परिवर्तन विग्रह तथा राजनीतिक उथल-पुथल होगी राजनीतिक अस्थिरता बने कहीं खाद्यान्न की कमी रहे, और उसके मूल्य में तेजी हो। प्रजा में क्लेश तथा आर्थिक परेशानियां बढ़े। कुछ विद्वान राजा बुध के होने से संवत का राजा झूला या सियार को मानते हैं।
सियार वाहन होने से पृथ्वी पर हाहाकार हो जाता है। बहुत स्थानों पर भयानक सूखा, अकाल जन्म परिस्थितियां बनेंगी विभिन्न देशों में टुकड़ों में थोड़े थोड़े समय के बाद टकराव और युद्ध होता रहेगा।
ज्योतिर्विद डॉ0 सौरभ शंखधार की डेस्क से...