उपच्छाया चंद्र ग्रहण - 10 जनवरी 2020
उपच्छाया का अर्थ:
किसी वस्तु की मूल छाया के अतिरिक्त इधर उधर पड़नेवाली उसकी कुछ आभा या हलकी काली झलक,जैसी ग्रहण के समय चंद्रमा या पृथ्वी की मुख्य छाया के अतिरिक्त दिखाई देती है।
साल का पहला चंद्र ग्रहण पूर्ण न होकर उपच्छाया ग्रहण होगा, इसमें चांद पूरी तरह नहीं छिपता है अतः ये ग्रहण की कोटि में नहीं आएगा।
वैसे चंद्र ग्रहण से करीब 12 घंटे पहले सूतक की शुरुआत हो जाती है, लेकिन उपच्छाया चंद्र ग्रहण में सूतक नहीं लगता है।
इस चंद्र ग्रहण में सूतक काल न लगने की वजह से मंदिरों के कपाट भी बंद नहीं किए जाएंगे और न ही पूजा-पाठ वर्जित होगी।
चंद्रग्रहण का प्रभाव 29 फरवरी तक देखने को मिल सकता है जबकि सूर्य ग्रहण का प्रभाव मकर संक्रांति तक देखने को मिल सकता है।
साल 2020 का पहला चंद्रग्रहण मिथुन राशि में लगने जा रहा है, इसलिए महिलाओं पर इसका असर सबसे ज्यादा होगा।
इस बार का चंद्र ग्रहण मिथुन राशि के लोगों को शारीरिक और मानसिक दोनों तौर पर प्रभावित करेगा।
ज्योतिष शास्त्र की मानें तो यह ग्रहण भारत के दूसरे भाव में लगने जा रहा है क्योंकि भारत की कुंडली वृष लग्न की मानी गयी है।
10 जनवरी को चंद्र ग्रहण के साथ पौष पूर्णिमा पड़ने की वजह से इस दिन ग्रहण खत्म होने के बाद स्नान-दान करना बेहद शुभ होगा।
वास्तव में ज्योतिष शास्त्र की दृष्टि में इसे ग्रहण नहीं माना जाएगा, इसलिए पूर्व पंचांग कारों ने पहले इसका उल्लेख नहीं किया।
वर्तमान समय में अधिक अध कचरा ज्ञान झाड़ कर आम जनता को भ्रमित किया जा रहा है इसीलिए हमने उपच्छाया ग्रहण के संदर्भ में थोड़ा लिखा है। यह ग्रहण माना ही नहीं जाएगा।
उपच्छाया चंद्र ग्रहण वास्तव में चंद्र ग्रहण नहीं होता। प्रत्येक चंद्र ग्रहण के घटित होने से पूर्व चंद्रमा पृथ्वी की उपच्छाया में अवश्य प्रवेश करता है, जिससे चंद्र मालिन्य कहा जाता है। कई बार पूर्णिमा को चंद्रमा उपच्छाया में प्रवेश कर उपच्छाया शंकु से ही बाहर निकल जाता है। इस उपच्छाया के समय चंद्रमा का विम्ब केवल धुंधला हो जाता है काला नहीं होता, इसलिए इसे ग्रहण की कोटि में नहीं रखा जा सकता।
चंद्रमा उपच्छाया में प्रवेश कर उठाया शंकु से बाहर निकल जाएगा। इसका स्पर्श काल 10 जनवरी 2020 को रात 10:38 से परम ग्रास मध्यकाल 11 जनवरी 2020 को 12:50 तक तथा मोक्ष काल 11 जनवरी की प्रातः 2:10 तक होगा।
वास्तव में यह कोई ग्रहण ही नहीं है ग्रहण के सूतक स्नान आदि महत्त्व का विचार नहीं रखा जाएगा भारत में से दूरबीन द्वारा देखा जा सकता है।
ज्योतिर्विद डॉ0 सौरभ शंखधार की डेस्क से...