बृहस्पति का राशि परिवर्तन 30 मार्च 2020
बृहस्पति का राशि परिवर्तन 30 मार्च 2020
गुरु सभी ग्रहों में सबसे प्रधान ग्रह माना जाता है। यदि कुंडली में गुरु अशुभ भाव में स्थित हो तब भी गुरु गोचर के समय जातक को शुभ परिणामों की प्राप्ति हो सकती है।
राशियों में विशेष रूप से गुरु धनु और मीन राशि का स्वामी है। ये मकर में नीच के तथा कर्क में उच्च के होते हैं। एक राशि चक्र को पूरा करने में इसे 13 महीने लगते हैं।
गुरु पुनर्वसु, विशाखा और पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र का भी स्वामी है।
गुरु बृहस्पति साल 2020 में 30 मार्च की सुबह 03.50 को उत्तराषणा के दूसरे चरण में मकर राशि में गोचर करेंगे।
30 मार्च 2020 से 30 जून 2020 सुबह 05.25 मिनट में उत्तराषाण के प्रथम चरण तक गुरु मकर राशि में रहेगा।
30 जून 2020 को धनु राशि में उत्तराषाण के प्रथम चरण में फिर से प्रस्थान करेगा।
गुरु 20 नवंबर 2020 को फिर से मकर राशि में गोचर करेगा और साल के अंत तक इसी राशि में स्थित रहेगा।
गुरु का आगमन शनि की राशि ( मकर - गुरु की नीच राशि ) में होगा ये नीच भांग राज योग बनाएगा, अपने आप सब कुछ शांत होने की स्थिति में आ जायेगा क्योंकि गुरु की उच्च दृष्टि कर्क राशि पर होगी तथा वृष और कन्या राशि पर होगी, तीनो की राशियों पर अच्छे परिणाम देखने को मिलेंगे।
मेडिकल ज्योतिष में कर्क राशि जो चंद्रमा की राशि है, जब गुरु की उच्च दृष्टि कर्क राशि पर होगी तब श्वेत रक्त कणिका का निर्माण होने लगेगा तथा रोग प्रतिरोधक छमता बढ़ जाएगी जिससे रोग से लड़ने की शक्ति मिल जाएगी।
जीवन में सभी प्रकार के सुख और सुविधाओं का कारक तथा भौतिक सुखों का प्रदाता शुक्र ग्रह 28 मार्च 2020 शनिवार की दोपहर 03:38 बजे कृतिका नक्षत्र के 2 चरण में अपनी स्वराशि वृषभ राशि में प्रवेश करेगा।
भारत वर्ष की पत्री वृषभ लग्न की है। अतः लग्नेश लग्न में आने से चल रही स्थितियों में कुछ सुधार संभव हो सकेगा।
वैसाख (9 अप्रैल 2020 से 7 मई 2020) के माह में मकर के मंगल गुरु शनि योग के कारण सर्प योग का प्रभाव बने। नव पंचम योग के प्रभाव में प्राकृतिक आपदा, रोग शोक की बहुलता हो, विग्रह एवं युद्ध पात के योग बने।
ज्योतिर्विद डॉ0 सौरभ शंखधार की डेस्क से...