वर्तमान समय मे महिलाओ की स्थिति, शुभ तथा अशुभ प्रभाव
भारतवर्ष स्त्री प्रधान देश है,जिसकी स्थिर लग्न वृष लग्न ( स्त्री लग्न ) है।
ज्योतिष शास्त्र में शुक्र को स्त्री कारक ग्रह माना गया है।
नीच भंग राजयोग (गुरु नीच राशि मकर में, स्व राशि शनि तथा मकर में मंगल) तथा उच्च के राहु की स्थिति बंधन योग बनाती है।
शुभ स्थिति:
परिवार में महिलाओं की स्थिति की बहुत महत्व रखती है। महिलाएं परिवार की शक्ति होती है जो मकान को घर बनाती है।
केंद्र में स्व राशि का शुक्र मालव्य योग का निर्माण कर रहा है जो कि गागर में सागर भरने वाली बात होती है।
वृष राशि में शुक्र की स्थिति स्त्रियों की शक्ति बढ़ाती है, शक्ति की उपासना के कारण ही सृष्टि का निर्माण हुआ है।
अभी नव रात्रि का पर्व निकला है जिसमे भगवती की साधना के फल स्वरूप उत्पन्न ऊर्जा राष्ट्र रक्षा कर रही है।
अशुभ प्रभाव:
नीच राशि में गुरु की पांचवी दृष्टि स्वराशि शुक्र पर पड़ने से स्त्रियों की भोजन बनाने में दक्षता बड़ी है, इसके साथ ही अत्यधिक चिंता का कारण बनी है क्योंकि शुक्र ग्रह धान्य आदि का कारक भी है जिसमे कमी आयी है।
मकर के गुरु की दृष्टि स्व राशि शुक्र पर पड़ने से बौद्धिक रूप से, धन धान्य की कमी लाती है, चंद्रमा पर पाप ग्रह की दृष्टि पड़ने से मन परेशान रहता है जिसके फल स्वरूप व्यवहार भी प्रतिकूल हो जाता है, जो कि कभी कभी घरेलू हिंसा का कारक बनता है।
घर मे अच्चानक बढ़े हुए कार्य की स्थिति तथा बंधन का होना, भविष्य के प्रति अत्यधिक चिंता का होना शांति भंग का कारण बनता है।
मानसिक शांति का कारक चंद्र जब भी किसी पाप ग्रह से दृष्टि संबंध बनाता है या पाप ग्रहों के साथ होता है तो शारीरिक तथा मानसिक विकृति देता है जिससे नकारात्मक स्वभाव, छोटी बातों पर बहस होना तथा अनावश्यक रूप से शांति भंग होना होता है।
इसी कारण सब कुछ सही होते हुए भी धर्म तथा अध्यात्म के अभाव में मानसिक और शारीरिक शांति भंग होती है तथा कलह की स्थिति बनती है।
काल प्रमाण है कि अभाव में ही विशेषताएं विकसित होती हैं, अशुभता को शुभता में बदलने के लिए अपनी अपनी विशेषताओं को और विकसित कर सकते हैं।
नकारात्मक विचारों में समय विपरीत है पर सकारात्मक विचारो के लिए अपनी प्रतिभा को विकसित करने का सबसे शुभ समय यही है।
ज्योतिर्विद डॉ0 सौरभ शंखधार की डेस्क से...