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मकर संक्रांति महापर्व 15 जनवरी 2020

The Pulpit Rock
The Pulpit Rock

सूर्य का मकर राशि में प्रवेश करना मकर संक्रांति कहलाता है, इसी दिन से सूर्य उत्तरायण हो जाते हैं।

शास्त्रों में उत्तरायण की अवधि को देवताओं का दिन तथा दक्षिणायन को देवताओं की रात्रि कहा गया है, इस तरह मकर संक्रांति एक प्रकार से देवताओं का प्रभात काल है।

उत्तर प्रदेश में इस व्रत को खिचड़ी कहते हैं, इसलिए इस दिन खिचड़ी खाने और खिचड़ी तिल दान करने का विशेष महत्व है।

दक्षिण भारत में इसे पोंगल कहते हैं।

असम में आज के दिन बिहू का त्यौहार मनाया जाता है।

ऐसा कहा जाता है मकर संक्रांति पर्व पर प्रतिवर्ष 14 जनवरी को पड़ता है खगोल शास्त्रियों के अनुसार, इस दिन सूर्य अपनी कक्षाओं में परिवर्तन कर दक्षिणायन से उत्तरायण होकर मकर राशि में प्रवेश करते हैं, जिस राशि में सूर्य की कक्षा का परिवर्तन होता है उसे संक्रांति कहा जाता है।

मकर संक्रांति पर्व इलाहाबाद के संगम स्थल पर प्रतिवर्ष लगभग एक माह तक माघ मेले के रूप में मनाया जाता है, जहां भक्त कल्प वास करते हैं तथा 12 वर्ष में कुंभ मेला लगता है। यह भी लगभग 1 माह तक रहता है। इसी प्रकार 6 वर्षों में अर्ध कुंभ मेला लगता है।

पंजाब तथा जम्मू-कश्मीर में लोहड़ी के नाम से मकर संक्रांति पर्व मनाया जाता है।

सिंधी समाज भी मकर संक्रांति के एक दिन पूर्व लोही के रूप में मनाते है।

तमिलनाडु में पोंगल के रूप में मनाया जाता है, इस दिन तिल, चावल, दाल की खिचड़ी बनाई जाती है।

नई फसल का चावल के पदार्थों से पूजा करके कृषि देवताओं के प्रति आभार कृतज्ञता प्रकट की जाती है।

भारतीय ज्योतिष के अनुसार मकर संक्रांति के दिन सूर्य एक राशि से दूसरी राशि में परिवर्तन को अंधकार से प्रकाश की ओर हुआ माना जाता है।

मकर संक्रांति से दिन बढ़ने लगता है और रात्रि छोटी होने लगती है स्पष्ट है कि दिन बड़ा होने से प्रकाश अधिक होगा और रात्रि छोटी होने से अंधकार की अवधि कम होगी।

हम सभी जानते हैं सूर्य की ऊर्जा का स्त्रोत है इसके अधिक चमकने से प्राणी जगत में चेतनता और उसकी कार्य शक्ति में वृद्धि होती है। हमारी संस्कृति में मकर संक्रांति का विशेष महत्व है।

इस संदर्भ में तुलसीदास जी कहते हैं -

माघ मकरगत रवि जब होई।
तीरथपतिहिं आव सब कोई।।

तारीख 14 जनवरी 2020 मंगलवार को मकर संक्रांति अर्ध रात्रि कालीन 2:07 पर पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र कालीन तुला लग्न में प्रविष्ट होगी।

वार के अनुसार महोदरी तथा नक्षत्र अनुसार उग्र संज्ञक लाभकारी होगी। इस संक्रांति के स्नान, जप, पाठ, दान आदि का पुण्य काल अगले दिन तारीख 15 जनवरी के मध्य तक रहेगा।

प्रातः स्नान के बाद भगवान विष्णु पूजन, सूर्य जप, पुरुष सूक्त स्त्रोत पाठ, तिल, घी सहित होम सहित तर्पण, ब्राह्मण भोजन एवं अनाज, वस्त्र, फल, गुड़, तिल के दान का विशेष महत्व होता है। इस दिन हरिद्वार, प्रयागराज, काशी, कुरुक्षेत्र आदि स्थानों का विशेष महत्व होता है।

इस दिन से माघ माहात्म्य का पाठ आरंभ करके माघ मासांत तक नित्य प्रति पाठ करने का विशेष महत्व है।

ज्योतिर्विद डॉ0 सौरभ शंखधार की डेस्क से...

January 08, 2020 Posted by:- डॉ0 सौरभ शंखधार ज्योतिर्विद (एम0 ए0, एम0 बी0 ए0, पी0 एच्0 डी0)

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