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जिस प्रकार मन के बिना हम कोई भी कार्य नहीं कर सकते, उसी तरह से चंद्र के बिना ज्योतिष शास्त्र अधूरा है ::

जिस प्रकार मन के बिना हम कोई भी कार्य नहीं कर सकते, उसी तरह से चंद्र के बिना ज्योतिष शास्त्र अधूरा है ::

ज्योतिषशास्त्र में चंद्रमा मन, शरीर, जल, गर्भाधान, शिशु अवस्था, व्यवहार, उत्तर-पश्चिम दिशा, माता, दूध, और मानसिक शांति, आदि का कारक ग्रह है ।

चंद्र राशि के आधार पर ही ज्योतिषी किसी भी जातक का भविष्य फल कहते हैं। ज्योतिष में जिस प्रकार सूर्य राजा है, उसी प्रकार चंद्रमा रानी है। चंद्रमा वस्तुतः हमारे मन और भावना का प्रतीक है। चंद्रमा का अपना घर कर्क राशि है तथा वृषभ राशि में चंद्रमा उच्च का होता है। चंद्रमा का स्वभाव बहुत ही संवेदनशील है। इस ग्रह की प्रकृति ठंडी है। चंद्रमा के विभिन्न भावों में स्थित होने से कार्यक्षेत्र पर कैसे प्रभाव पड़ते हैं आईए जानते हैं।

प्रथम भाव:

यदि किसी भी जातक की जन्म कुंडली के प्रथम भाव में चंद्र स्थित हो तो व्यक्ति पराक्रमी और राज वैभव को प्राप्त करने वाला होता है। ऐसा व्यक्ति बहुत ही भावुक और संवेदनशील होता है। व्यक्ति सुन्दर और चंचल होता है। व्यक्ति में सृजनात्मक तथा रचनात्मक कार्यों को करने की विशेष रूप से रुचि होती है, इसलिए रचनात्मकता वाले क्षेत्रों में अपना करियर बना सकता है। प्रथम भाव का चंद्रमा व्यक्ति को कल्पनाशील बना देता है। इसके साथ ही संपूर्ण भविष्यवाणी के लिए देशकालपात्र और अन्य ग्रहों की दृष्टि-युति आदि सम्बन्धी की जांच-परख करनी चाहिए।

द्वितीय भाव:

चंद्रमा दूसरे भाव में हो तो ऐसे जातकों के घर में लक्ष्मी का वास सदा बना रहता है और धन-धान्य की वृद्धि होती है। ऐसा जातक सुन्दर नेत्रों वाला होता है तथा विशेष रूप से विपरीत लिंगी लोगों में आसक्ति होती है। विपरीत लिंगियों के साथ विलास करता है और उनसे धन भी अर्जित करेगा। कहा जाता है कि उसके घर में प्रसन्नतापूर्वक लक्ष्मी स्वयं आकर निवास करती है। ऐसे जातक विदेश से जुड़े कार्य करता है और करना भी चाहिए। यदि जातक विदेश में जाता है तो उसका भाग्योदय अवश्य होगा। यही नहीं सार्वजनिक संस्थाओं के सम्बन्ध से भी भाग्योदय होता है। ऐसे व्यक्ति को किसी न किसी एनजीओ (NGO) से जुड़कर अपनी आजीविका प्राप्त होती है।

तृतीय भाव:

तृतीय भाव में चंद्रमा के स्थित होने पर व्यक्ति अपने पराक्रम से धन लाभ प्राप्त करता है। उसे अपने भाई-बंधुओं से अधिक सुख मिलता है। उसकी प्रवृत्ति धार्मिक कार्यो में होती है। संसार में उसका आदर सम्मान होता है। उसके अंदर कलात्मक गुण होते हैं।ऐसा व्यक्ति हमेशा कुछ नया करना चाहता है। भविष्य के लिए योजनाएँ बनाना तो इनके लिए बायें हाथ का खेल है और ऐसा जातक योजना से संबंधित कार्यों में निपुण होता है। हालांकि देशकालपात्र और अन्य ग्रहों की दृष्टि-युति आदि सम्बन्धी की जांच-परख करनी चाहिए।

चतुर्थ भाव:

चतुर्थ भाव में चंद्रमा के स्थित होने पर व्यक्ति को पुत्र, स्त्री, धन और विद्वान होने का सुख प्राप्त होता है। ऐसे व्यक्ति का सर्वत्र गुणगान होता है। जिस व्यक्ति की कुंडली के चतुर्थ भाव में चंद्रमा स्थित है वह सरकार में मंत्री पद या सरकारी नौकरी करता है, मंत्री या नौकरी चंद्रमा की अवस्था के ऊपर निर्भर करेगा। ऐसा जातक स्वभाव से दयालु, परोपकारी और भावुक होता है। उसमें आत्मविश्वास तथा संतोष कुछ अधिक होता है।

पंचम भाव:

" जितेन्द्रियः सत्यवचः प्रसन्नो धनात्म्जाव्वप्त समस्तसौख्यः।

सुसंग्रही स्यान मनुजः सुशीलः प्रसूतिकालेतान्यालायाब्जे।।"

पंचम भाव में स्थित चंद्रमा के प्रभाव से जातक सदैव सरकारी क्षेत्र से जुड़े कार्य व उच्च पद की प्राप्ति करता है। ऐसा जातक किसी की भी गुलामी नहीं करता और राजाओं की तरह समाज में अपना प्रभुत्व बनाये रखता है। ऐसा जातक कम बोलने तथा अधिक कार्य करने में विश्वास रखता है। परन्तु सदैव स्त्री प्रिय होता है, इसके साथ ही स्त्री पक्ष के साथ जुड़कर अहम निर्णय लेता है। हालांकि इसके साथ ही कुंडली में चंद्रमा की अन्य ग्रहों से युति आदि का भी विचार अवश्य करना चाहिए। इसके साथ ही संपूर्ण भविष्यवाणी के लिए देशकालपात्र और अन्य ग्रहों की दृष्टि-युति आदि सम्बन्धी की जांच-परख करनी चाहिए।

षष्ठम भाव:

षष्ठम भाव में स्थित चंद्रमा वाले व्यक्ति सेवक के रूप में कार्य करते हैं। यहाँ स्थित चंद्रमा बहुत अच्छा फल नहीं दे पाता है इसका मुख्य कारण है की षष्ठ भाव रोग, ऋण, रिपु, लड़ाई-झगड़ा इत्यादि का भाव है। इस स्थान में चंद्रमा के होने से व्यक्ति अपने कार्य से कभी भी संतुष्ट नहीं होता यदि व्यक्ति नौकरी करता है तो बार-बार नौकरी में बदलाव चाहता है और करता भी है। ऐसे व्यक्ति अचानक कोई निर्णय नहीं ले पाते हैं यदि कोई निर्णय लेना है तो आप अपने इष्ट मित्रों से पूछने के बाद ही कोई फैसला कर पाते हैं। आप अपने शत्रुओं की पहचान बड़े आसानी से कर लेते हैं।

सप्तम भाव:

जिस जातक के सप्तम भाव में चन्द्र हो तो ऐसा जातक किराने की दुकान, दूध का, दवाइयों का, मसाले का, या अनाज का व्यापार का कार्य करता है। यही नहीं होटल, बेकरी, इन्श्योरेंस या कमीशन एजेंट का काम करे तो ऐसे व्यक्ति को लाभ मिलता है। ऐसे जातक साझेदारी में व्यवसाय कर सकते हैं। परन्तु साझेदारी में भी आप हमेशा परिवर्तन की तलाश में रहते हैं। वैसे भी जिस प्रकार आपको एक स्थान पर ज्यादा दिन तक रुकना पसंद नहीं है उसी प्रकार आप एक ही व्यवसाय पर आश्रित नहीं रहना चाहते। आप वकील बन सकते हैं अत: व्यवसाय के रूप में वकालत को अपना सकते हैं। सप्तम भाव में स्थित चंद्रमा विदेश यात्रा कराता है।

अष्टम भाव:

फलदीपिका बृहदजातक, जातकतत्त्व, मानसागरी में कहा गया है कि यदि चंद्रमा आठवें भाव में बैठा हो तो ऐसा जातक सदैव चिंतित व व्यापार से नुकसान प्राप्त करता है। ऐसे जातकों को नौकरी करना ही सही रहता है सामान्यतः ज्योतिषी बिना किसी अन्य योग को देखे ही मृत्यु या बहुत अरिष्ट के रूप में अपना निर्णय सुनाने लगते हैं जो कि एकदम गलत है। हालांकि मेरे अनुसार केवल चंद्रमा के वहाँ होने मात्र से यह फल फलित नहीं होता है। अष्टम चंद्रमा के कुछ नकारात्मक पहलू तो हैं परन्तु अक्सर हम सकारात्मक पहलू को भूल जाते हैं। अष्टम चंद्र के बारे में ज्योतिष के विभिन्न ग्रंथों में चंद्रमा के सकारात्मक पक्ष का भी वर्णन किया गया है जैसे इससे लोगों को शोध संबंधी कार्यों में सफलता मिलती है। कर्क लग्न हो और अष्टम में चंद्रमा हो तो ऐसे जातक विदेशी स्रोतों से धन लाभ प्राप्त करते हैं। साथ ही ऐसे लोग अच्छे ट्रैवल गाईड होते हैं।

नवम भाव:

नवम भाव में चन्द्र फल के बारे में विचार करें तो, यदि आपकी जन्म कुंडली में नवम भाव में चंद्रमा स्थित है तो आप भाग्य निर्माता, लोकप्रिय, धार्मिक, विद्वान और साहसी होते हैं। आप भाग्यशाली तो होंगे परन्तु यह मत भूलिए की भाग्य स्वयं ही आपके पास नहीं आएगा आपको स्वयं ही अपने भाग्य का निर्माण करना पड़ेगा क्योंकि आप भाग्यशाली नहीं हैं आप तो भाग्य निर्माता हैं, भाग्य के द्वारा आप अपने व्यापार में अच्छी सफलता प्राप्त कर सकते हैं। ऐसे जातक सदैव व्यापार में उच्च पद प्राप्त करते हैं।

दशम भाव:

“जयी सिद्धारम्भो नभसि शुभकृत सत् प्रियकर:”

ऐसे जातक की समाज में तथा कार्यस्थल पर लोकप्रियता भी अच्छी खासी होती है। ये अपनी वाणी से व्यापार में वृद्धि करते है अर्थात वाणी से ही जुड़ा व्यापार करते हैं। व्यक्ति को पद एवं प्रतिष्ठा दोनों प्राप्त होते हैं। ऐसा व्यक्ति धर्मात्मा होता है। व्यापार और व्यवसाय के मामलों में भी आप अत्यंत कुशल हैं। आप नौकरी भी ऐसी करेंगे जिसमें प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप में जनता से सम्बन्ध बन रहा हो। जनता आपसे प्यार करेगी और आप भी जनता से प्यार करेंगे। ऐसे मनुष्य को सरकार से धन की प्राप्ति होती है अर्थात् व्यक्ति सरकारी नौकरी करेगा ऐसा मेरे अनुभव में आया है। आपको अपने व्यवसाय में कई बार परिवर्तन करना पड़ सकता है। आपको विदेश यात्रा करने का भी अवसर मिलेगा।

एकादश भाव :

यदि किसी की कुंडली में चंद्रमा एकादश भाव में स्थित है तो वह व्यक्ति स्वभावतः चंचल होता है। वह हमेशा कुछ न कुछ सोचता रहता है। ऐसा व्यक्ति योजना बहुत बनाता है यही नहीं प्रत्येक योजना का समबन्ध लाभ से अवश्य जुड़ा हुआ रहता है, ऐसा व्यक्ति बिना लाभ के कोई कार्य करना नहीं चाहता है। ऐसा व्यक्ति विदेश अथवा अन्य प्रदेश में रहना या जाना बहुत ज्यादा पसंद करता है। भौतिक सुख-सुविधाओं का भरपूर उपभोग करना चाहता है और करता भी है।

" द्वादश भाव में चंद्रमा का फल

चन्द्रेsत्य जातेतु विदेशवासी ।।"

द्वादश भाव:

चंद्रमा मन का कारक है, इसलिए जिन जातकों के द्वादश भाव में चंद्रमा होता है वो आर्थिक पक्ष को लेकर हमेशा परेशान रह सकते है। आपके शत्रुओं की संख्या अधिक हो सकती है। आपको अपनी जीवन यात्रा में कई परेशानियों से गुजरना पड़ सकता है। कई मामलो में सामाजिक मूल्य में हानि का भी सामना करना पड़ सकता है। ऐसे जातक विदेश में जाकर काम करते हैं तो सफलता प्राप्त होती है। विदेशी नागरिकता भी ऐसे जातक प्राप्त कर सकते हैं। ऐसे जातक खुफ़िया एजेंसी में कार्यरत हो सकते हैं।

हर पत्री के हिसाब से अलग अलग तरह से चंद्र को समझाया जा सकेगा। षष्टम, अष्टम तथा द्वादश भाव का चंद्रमा अति चंचल बातूनी तथा काफी तरह के अवगुण और स्वास्थ्य संबंधित खराब होता है। जातक को भली प्रकार से जन्मपत्री दिखाकर सुखी जीवन के लिए चंद्रमा की शांति परम आवश्यक है।

ज्योतिर्विद डॉ0 सौरभ शंखधार की डेस्क से...

April 15, 2020 Posted by:- डॉ0 सौरभ शंखधार ज्योतिर्विद (एम0 ए0, एम0 बी0 ए0, पी0 एच्0 डी0)

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