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गुरु वक्री तथा सूर्य संक्रांति 14 मई 2020, काल सर्प योग के साथ लगा पंचक:

गुरु वक्री तथा सूर्य संक्रांति 14 मई 2020, काल सर्प योग के साथ लगा पंचक:

14 मई बुधवार से शुरू होगा पंचंक और साथ ही सूर्य करेंगे वृष संक्रान्ति।

चन्द्र ग्रह का धनिष्ठा नक्षत्र के तृतीय चरण और शतभिषा, पूर्वाभाद्रपद, उत्तराभाद्रपद तथा रेवती नक्षत्र के चारों चरणों में भ्रमण काल पंचक काल कहलाता है।

चन्द्र ग्रह का कुम्भ और मीन राशी में भ्रमण पंचंक को जन्म देता है।

पंचक में निषेध कार्य :

पंचक में तिनकों और काष्ठों के संग्रह से अग्निभय, चोरभय, रोगभय, राजभय एवं धनहानि संभव है।

पंचक तिथि प्रारंभ - 14 मई 2020 को सायं 07:22 से

पंचक तिथि समाप्त - 19 मई 2020 को सायं 07:54 तक

14 मई को सूर्य वृष राशि में 5:33 बजे शाम को प्रवेश करेगा। वृष संक्रान्ति का पुण्य काल 14 मई को 10:19 बजे सुबह से शुरु होकर शाम 5:33 बजे शाम तक रहेगा।

सूर्य जब वृषभ राशि में संक्रमण करते हैं तो इसे वृष संक्रांति कहा जाता है इस दिन सूर्योदय से पहले किसी पवित्र नदी में स्नान और व्रत का विधान है इस दिन सूर्य देव की पूजा की जाती है। जहां सूर्य देव 15 जून तक रहेंगे। सूर्य का राशि परिवर्तन संक्रांति कहा जाता है।

सूर्य के वृषभ राशि में प्रवेश के समय की कुंडली में सूर्य का शुभ ग्रहों बुध और शुक्र से युत होकर मंगल से दृष्ट होना दक्षिण भारत में मानसून पूर्व की अच्छी वर्षा का संकेत है।

उत्तर भारत में मंगल और सूर्य के इस गोचर के प्रभाव से तापमान 14 मई के बाद तेज़ी से बढ़ेगा जिसके फलस्वरूप कई स्थानों पर व्यापारिक गतिविधियां तेज होंगी।

सोने-चांदी के रुख में तेजी आएगी और पानी की कमी से जनता त्रस्त हो सकती है।

14 मई से 8 जून तक गर्मी अपने प्रचंड रूप में दिखाएगी, दैवीय आपदा ( अति वृष्टि, भूकंप, सुनामी, चक्रवात) योग बनेंगे।

सूर्य की वृषभ संक्राति में 25 मई से नौतपा शुरू हो रहा है। इस दिन सूर्य रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश करेंगे। और यह नौतपा 8 जून तक चलेंगा।

बृहस्पति अपनी नीच राशि मकर में 14 मई 2020 से 8:02 शाम से निकाल से 13 सितंबर 2020 प्रातः काल 6:11 पर वक्री होंगे।

परिणाम: देश को वित्तीय सहायता मिले। गुरु तथा शनि की युति कुछ अशांति तथा धार्मिक समुदाय में विरोध हो। पुरानी कंपनी को पुनर्जीवित किया जाए।

9 मई 2020 से 24 मई 2020 तक प्रकृति में काल सर्प योग बनने के कारण लाभ तथा हानि के योग भी बन सकते हैं।

ज्येष्ठ मास (8 मई से 5 जून 2020) तक 5 शुक्रवार होने से, 29 मई तक कालसर्प योग रहने से तथा गुरु शनि के योग से विश्व में युद्ध से वातावरण अशांत एवं असमंजसता बढ़े। दूध, तेल, जल, घी आदि दैनिक उपयोगी वस्तुओं में विशेष तेजी के योग बने।

मिथुन के राहु के प्रभाव के कारण दैवीय दुर्घटनाये जैसे भू स्खलन, जल द्वारा क्षति, आंधी ओले बिना समय बरसात का होना भी संभव हैं जो हानिकारक होगा।

इन ग्रहों के वक्री होने से अप्रत्याशित लाभ तथा अप्रत्याशित हानि भी संभव हो सकती है।

ज्योतिर्विद डॉ0 सौरभ शंखधार की डेस्क से...

April 24, 2020 Posted by:- डॉ0 सौरभ शंखधार ज्योतिर्विद (एम0 ए0, एम0 बी0 ए0, पी0 एच्0 डी0)

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