वक्री शनि गोचर 11 मई 2020
वक्री शनि गोचर 11 मई 2020...
वक्री गति:
जब कोई ग्रह अपनी तेज गति के कारण किसी अन्य ग्रह को पीछे छोड़ देता है तो उसे अतिचारी कहा जाता है। जब कोई ग्रह अपनी धीमी गति के कारण पीछे की ओर खिसकता प्रतीत होता है तो उसे वक्री कहते हैं।
कोई भी ग्रह चाहें वक्री हो या फिर मार्गी, वह अपनी उच्च राशि में अच्छा फल देता है, जबकि नीच राशि में वह अशुभ फलकारी होता है।
शनि देव 11 मई 2020 को प्रातः 9:40 से 29 सितंबर 2020 10:40 तक स्वराशि मकर में वक्री होंगे।
परिणाम : न्यायिक व्यवस्था में सुधार, न्यायिक ढांचे का पुनर्गठन, सभी का कौशल सामने आएगा, व्यवहारिकता के साथ प्रेम बढ़ेगा।
राशि के हिसाब से परिवर्तन :
शनि की वक्री गति का प्रभाव कुछ राशियों ( मेष, वृष, मिथुन, तुला, धनु, मकर तथा कुम्भ राशि ) पर विशेष होगा।
कर्क, सिंह, कन्या, वृश्चिक, मीन राशि पर सामान्य प्रभाव रहेगा। इन सभी राशियों के जातक कृष्णाजी , शिवजी, हनुमान जी तथा भगवती की उपासना से शुभता प्राप्त करेंगे।
मेष राशि:
शनि के वक्री होने से कष्ट संभव। खर्च अधिक हो, स्वास्थ्य पर ध्यान दीजिए। मौन साधना श्रेष्ठ होगी, भगवती की साधना से सभी प्रकार सुख संभव।
वृष राशि:
पारिवारिक कलेश बढ़ने के योग, वाणी पर गहरा संयम, नकारात्मकता न आने दे।
ध्यान कीजिये। सेवा करने से लाभ मिले। गणेश जी की साधना शुभ हो।
मिथुन राशि:
शनि की ढैय्या, शनि का वक्र गति परेशानी बढ़े, मानसिक तथा आर्थिक कष्ट संभव। बजरंग वाण के 11 पाठ कीजिये सभी प्रकार शुभता हो।
तुला राशि:
शनि की ढैय्या, वक्री हो जाने से परेशानियों में बढ़े, व्यापार में नुकसान संभव, मौन साधना लाभ प्रद हो, हनुमान जी चालीसा के 21 पाठ करे, शुभता होगी।
धनु राशि:
साढ़े साती का अंतिम चरण, पैरो में दर्द बढ़े। कठिन परिश्रम, लाभ कम। दुर्घटना के योग बने। भैरव जी की मानसिक पूजा करे।
मकर:
साढ़े साती के दूसरे चरण की शुरुआत, पेट संबंधी रोग, जीवनसाथी से मतभेद इत्यादि। शिव पूजा से सब कुछ अनुकूल बने।
कुंभ:
साढ़े साती के पहले चरण, शनि के वक्री होने से कुंभ राशि वालों को सावधान रहना होगा। पारिवारिक जीवन में समस्याएं, सोच समझकर कार्य करे। हनुमान जी की उपासना करें।
9 मई 2020 से 24 मई 2020 तक प्रकृति में काल सर्प योग बनने के कारण लाभ तथा हानि के योग भी बन सकते हैं।
ज्येष्ठ मास (8 मई से 5 जून 2020) तक 5 शुक्रवार होने से, 29 मई तक कालसर्प योग रहने से तथा गुरु शनि के योग से विश्व में युद्ध से वातावरण अशांत एवं असमंजसता बढ़े। दूध, तेल, जल, घी आदि दैनिक उपयोगी वस्तुओं में विशेष तेजी के योग बने।
मिथुन के राहु के प्रभाव के कारण दैवीय दुर्घटनाये जैसे भू स्खलन, जल द्वारा क्षति, आंधी ओले बिना समय बरसात का होना भी संभव हैं जो हानिकारक होगा।
ज्योतिर्विद डॉ0 सौरभ शंखधार की डेस्क से...